बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
सुमेरियन सभ्यता का भारतवर्ष से सम्पर्क
सुमेरियन सभ्यता मेसोपोटामिया की महत्वपूर्ण सभ्यता रही है। मेसोपोटामिया की सभ्यता विश्व की सभ्यताओं में अपना विशेष स्थान रखती है। आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व दीर्घकाल तक प्राचीन मानव सभ्यता के इतिहास का केन्द्र दक्षिण-पश्चिमी एशिया बना रहा। एशिया प्रायद्वीप का दक्षिणी-पश्चिमी भाग उत्तर में कालासागर, दक्षिण में अरब सागर, पूर्व में कैस्पियन सागर, ईरान का पठार, फारस की खाड़ी तथा पश्चिम में भूमध्यसागर एवं कालासागर से घिरा हुआ है। इसके समीपवर्ती सागर अपने निकटवर्ती देशों के साथ इसके सम्पर्क में सहायक रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप अन्य सभ्यताओं की तरह सिन्धु सभ्यता भी यहाँ की सभ्यताओं के सम्पर्क में आई। यही कारण है कि दक्षिणी-पश्चिमी एशिया को समकालीन् 'सभ्यताओं का संगम स्थल कहकर पुकारा जाता है। यहाँ पर विभिन्न देशों की सभ्यताएँ समाहित हो सकीं तथा उनमें राजनीतिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ।
सुमेर नगर दजला-फरात घाटी (मेसोपोटामिया) के दक्षिण भाग में स्थित है। इसके उत्तर पश्चिम में अक्काद स्थित है। दोनों के मध्य स्पष्ट विभाजक रेखा नहीं है फिर भी निप्पुर के उत्तर का भू-भाग अक्काद तथा दक्षिण का भू-भाग सुमेर माना जाता है, यह केन्द्रवर्ती नगर था। इसका पड़ोसी नगर निप्पुर था। सुमेर की भौगोलिक पृष्ठभूमि ऐसी थी कि यहाँ जीवन-यापन करना सरल था। इसी कारण सर्वप्रथम भ्रमणशील मनुष्यों ने सुमेर को ही अपने स्थायी जीवन के लिये उपयुक्त पाया और एक ऐसी सभ्यता का विकास किया जो आने वाली मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के लिये आधारशिला सिद्ध हुई। वास्तव में, दजला-फरात घाटी में पल्लवित होने वाली सभ्यताओं को मूल प्रेरणा सुमेरिया से ही प्राप्त हुई थी। मेसोपोटामिया में सामाजिक एवं आर्थिक संगठन, कानून, धर्म, लिपि तथा विज्ञान के बहुत से तत्वों के आविष्कारक सुमेरियन ही थे।
पुरानी बाइबिल में एक स्थान पर एक जाति के पूर्व से आकर शिन्नार (सुमेर ) में बसने का. उल्लेख मिलता है। संभवतः यह संकेत सुमेरियनों की ओर ही है। हॉल इत्यादि कुछ विद्वानों का मानना है कि यदि सुमेरियन पूर्व से आये तो उनका सम्बन्ध भारतवर्ष की द्रविड़ जाति से था। बलूचिस्तान में आज भी द्रविड़ जाति के अस्तित्व के प्रमाण मिलते हैं। फारस में ईरानी आर्यों के आगमन से पूर्व जो जाति निवास करती थी वह भी द्रविड़ जाति से मिलती-जुलती थी। अतः यह अनुमान किया गया है कि सम्भवतः सुमेरियन मूलतः भारत में सिन्धु घाटी में रहते थे। वहाँ से वे बलूचिस्तान और फारस होते हुए दजला और फरात की घाटियों में जाकर बस गये। यह भी सम्भव है कि वे समुद्र के मार्ग से सुमेर आये हों, क्योंकि एक आख्यान में कहा गया है कि ओऔनिज नामक देवता ने, जो समुद्री मार्ग से आया था, सुमेर के निवासियों को सभ्य बनाया। हॉल महोदय के इस मत का समर्थन फादर हेरास और क्रेमर ने भी किया था।
यद्यपि इसमें सन्देह नहीं कि यह सुझाव सत्य के अति निकट प्रतीत होता है, परन्तु किसी ठोस साक्ष्य के अभाव में इसे निर्विवाद रूप से स्वीकृत कर लेना उचित नहीं है। जब तक सुमेरियन और सिन्धु सभ्यताओं की आपेक्षिक तिथिक्रम, सिन्धु सभ्यता के निर्माताओं की जाति और उनका दक्षिण भारत के द्रविड़ों के साथ सम्बन्ध इत्यादि के विषय में कोई ठोस और सन्तोषजनक प्रमाण नहीं मिलता तब तक सुमेरियनों को द्रविड़ मूल का मानना सम्भव नहीं है। बैडेल ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि सुमेरियन वस्तुतः आर्य थे और उनके शासकों का तादात्म्य पुराणों में उल्लिखित प्राचीन आर्य राजाओं के साथ स्थापित किया जा सकता है। साइकस ने भी उनका सम्बन्ध इण्डो-यूरोपियन परिवार से माना है। इसके विपरीत विजॉन तथा बॉल ने उनकों मंगोलॉयड परिवार से सम्बद्ध करने की चेष्टा की है, परन्तु ये सभी तथ्य भ्रामक हैं।
विद्वानों का मानना है कि सिन्धु सभ्यता की उत्पत्ति भी सुमेरियन सभ्यता से हुई। इनमें सर जॉन मार्शल, गार्डन चाइल्ड, सर मर्टीमर ह्वीलर आदि पुराविदों की मान्यता है कि सैन्धव सभ्यता मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता से विकसित हुई। इन विद्वानों के अनुसार सुमेरियन सभ्यता सैन्धव सभ्यता से प्राचीनतर थी। इन दोनों सभ्यताओं में कुछ समान विशेषताएँ देखने को मिलती हैं, जो इस प्रकार हैं.
1. सुमेरियन तथा सिन्धु दोनों नगरीय सभ्यताएँ थीं। ।
2. दोनों सभ्यताओं के निवासी काँसे तथा ताँबे के साथ पाषाण के लघु उपकरणों का प्रयोग करते थे
3. दोनों सभ्यताओं द्वारा अपने भवन कच्ची तथा पक्की ईटों से बनाये गये थे।
4. दोनों सभ्यताओं के लोग चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाते थे।
5. दोनों सभ्यताओं को लिपि की जानकारी थी।
उपर्युक्त समानताओं के आधार पर ह्वीलर महोदय ने सैन्धव सभ्यता को सुमेरियन सभ्यता का एक उपनिवेश (Colony) बताया है। किन्तु वास्तव में यह मत तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता। इसका कारण यह है कि दोनों सभ्यताओं में इन बाह्य समानताओं के होते हुए भी कुछ मौलिक विषमताएँ भी हैं जिनकी हम उपेक्षा नहीं कर सकते। सैन्धव सभ्यता की नगर योजना सुमेरियन सभ्यता की अपेक्षा अधिक सुव्यवस्थित है। दोनों के बर्तन, उपकरण, मूर्तियाँ, मुहरें आदि आकार-प्रकार में काफी भिन्न हैं। यह सही है कि दोनों ही सभ्यताओं में लिपि का प्रचलन था किन्तु दोनों ही लिपियाँ परस्पर भिन्न हैं। जहाँ सुमेरियन लिपि में 900 अक्षर हैं, वहीं सैन्धव लिपि में 400 अक्षर मिलते हैं। इन विभिन्नताओं के कारण दोनों सभ्यताओं को समान मानना उचित नहीं होगा। अतः हम सैन्धव सभ्यता को सुमेरियन उपनिवेशीकरण का परिणाम नहीं कह सकते हैं।
सुमेरिया में व्यापारिक प्रगति के कारण प्राचीनकाल से ही इस सभ्यता का भारत से सम्पर्क रहा है। सुमेरवासी मिस्र और फारस की खाड़ी के देशों के साथ-साथ भारत से भी व्यापार करते थे। यहाँ से भारत का व्यापार जल तथा थल दोनों ही मार्गों से होता था। मेसोपोटामिया के विभिन्न स्थलों उर, तेल, किश, उम्मा, लगश, निप्पुर तथा असुर के साथ-साथ सुमेरिया से भी सैन्धव कारीगरों अथवा उनके प्रभाव से निर्मित अनेक वस्तुएँ, जैसे करकेतन, सीप तथा हड्डियों के मनके, मुहरें आदि प्राप्त हुई हैं जो सैन्धव व्यापारियों द्वारा पहुँचायी गयी होंगी। इससे सुमेरियन सभ्यता का भारतवर्ष से सम्पर्क होने का प्रमाण मिलता है। मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त एक मुहर तथा ठीकरे पर सुमेरियन नावों के चित्र अंकित हैं जो समुद्री व्यापार का सूचक होने के साथ-साथ सुमेरियन सभ्यता का भारतवर्ष से सम्पर्क होने की बात का भी प्रमाण देते हैं। सैन्धव लिपि के अपठित होने के कारण हमें यहाँ के लेखों से तो इस सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं मिलती परन्तु सारगोन के समय का सुमेरियन लेख इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण विवरण प्रस्तुत करता है। व्यापार के प्रसंग में मेलुहा, दिल्गुन (तिल्मुन ) तथा मगन (मकन) नामक तीन स्थानों का उल्लेख मिलता है। इनमें 'मेलुहा' की पहिचान सिन्ध प्रदेश से की गई है। ज्ञात होता है कि यहाँ से उर के व्यापारी सोना, ताँबा, कार्नीलियन (लाल पत्थर), लाजवर्दमणि, हाथीदाँत की वस्तुएँ, खजूर, विविध प्रकार की लकड़ियाँ मोर पक्षी आदि प्राप्त करते थे। सिन्धु तथा मेसोपोटामिया के मध्य होने वाले व्यापार में फारस तथा हड़प्पा के व्यापारी परस्पर बिचौलिये का काम करते थे। ओमन द्वीप के विभिन्न स्थलों से सैन्धव मूल की कलात्मक वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं जिससे भारत के साथ सुमेरिया के व्यापारिक सम्पर्क होने की सूचना मिलती है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोथल से सुत्कागेनडोर होते हुए जो व्यापारी फारस की खाड़ी देशों को जाते थे वे ओमन में पड़ाव डालते थे। बाद में कुछ लोग यहाँ बस भी गये होंगे तथा उनकी सिन्धु और मेसोपोटामिया के बीच होने वाले व्यापार में प्रमुख भूमिका रही होगी। मेसोपोटामिया तथा सिन्धु प्रदेश के बीच घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध सारगोन युग (2400-1750 ई.पू.) में ही था क्योंकि इस काल में सैन्धव मुहरें अधिक मिलती हैं। विद्वानों का मानना है कि 1750 ई.पू. तक दोनों देशों के बीच सम्पर्क टूट गया था।
सुमेरियन सभ्यता के भारत से सम्पर्क के कारण भारत ने मानव सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की। सुमेरवासियों ने कृषि व्यवसाय, लिपि, विज्ञान, ज्योतिष आदि क्षेत्रों में महान कार्य किया जिसे पश्चिमी एशिया की बाद की संस्कृतियों ने भी अपनाया। विल ड्यूरेन्ट के अनुसार, "सिंचाई की सर्वप्रथम प्राचीन व्यवस्था, ऋण प्रणाली, लेखन कला, न्याय विधान, पुस्तकालय, विद्यालय, प्राचीन मन्दिर व मूर्तियाँ और मेहराब व गुम्बद सुमेरिया की अभूतपूर्व देन हैं।"
|
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
- प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
- प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
- प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।